पंच महापुरुष : हैं यह 5 योग – कुंडली में कैसे बनते हैं पंच महापुरुष योग?
पंच महापुरुष योग ज्योतिष शास्त्र में एक बहुत ही शुभ योग माना जाता है। यह योग जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है तो उस व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है। यदि दो प्रकार के पंच महापुरुष योग कुंडली में बन रहे हों तो व्यक्ति राजा के समान पृथ्वी पर सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। इसी प्रकार तीन या तीन से अधिक राजयोग हों तो व्यक्ति जीवन में सर्वोच्च पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान प्राप्त कर महान हस्तियों की श्रेणी में आता है।
पंच महापुरुष योग कैसे बनते हैं?
पंच महापुरुष योग कुंडली में पांच ग्रहों - मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि के विशिष्ट स्थान पर होने से बनते हैं। जब ये ग्रह अपनी-अपनी त्रिकोण या केंद्र स्थान पर स्थित होते हैं और साथ ही किसी विशेष नक्षत्र में होते हैं, तब पंच महापुरुष योग बनता है। DO YOU HAVE THIS YOGA THEN YOU CAN CONSULT WITH US
पांच महापुरुष योग कौन-कौन से हैं?
- रुचक योग: यह योग मंगल के त्रिकोण या केंद्र स्थान पर होने से बनता है। पंच महापुरुष योगों में मंगल की स्थिति से जो योग बनता है वह रूचक योग कहलाता है। जब जातक की कुंडली में मंगल स्वराशि यानि मेष या वृश्चिक या फिर उच्च का जो कि मकर में होता है होकर जातक की कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में बैठा हो तो रूचक महापुरुष योग का निर्माण होता है। यह योग जातक को निर्भिक, बलशाली, ऊर्जावान एवं पराक्रमी बनाता है। ऐसे जातक अपने बल, बुद्धि और ऊर्जा का इस्तेमाल सकारात्मक कार्यों में करते हैं। इन्हें शत्रुओं का कोई भय नहीं होता एवं एक बार जिस काम को यह जातक ठान लेते हैं फिर उसे परिणति तक लेकर ही जाते हैं। ये जातक अधेड़ उम्र में भी तरूण समान प्रतीत होते हैं।
- भद्र योग: यह योग बुध के त्रिकोण या केंद्र स्थान पर होने से बनता है।बुद्धि के कारक बुध इस योग का निर्माण उस समय करते हैं जब वे स्वराशि जो कि मिथुन एवं कन्या हैं के होकर केंद्र भाव यानि प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम स्थान में बैठे हों तो भद्र महापुरुष योग का निर्माण करते हैं। यह योग जातक को बुद्धिमान तो बनाता ही साथ ही इनकी संप्रेषण कला भी कमाल की होती है। रचनात्मक कार्यों में इनकी रूचि अधिक होते हैं ये अच्छे वक्ता, लेखक आदि हो सकते हैं। इनके व्यवहार में ही भद्रता झलकती है जिससे सबको अपना मुरीद बनाने का मादा रखते हैं।
- हंस योग: यह योग बृहस्पति के त्रिकोण या केंद्र स्थान पर होने से बनता है। इस योग की श्रृष्टि देवगुरु ग्रह बृहस्पति करते हैं। जब गुरु स्वराशि धनु या मीन या फिर अपनी उच्च राशि कर्क में होकर पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में बैठे हों तो इसे हंस महापुरुष योग कह सकते हैं। हंस योग जिनकी कुंडली में होते वे बहुत ही ज्ञानी और ईश्वर की विशेष कृपा पाने वाले जातक होते हैं। इनकी समाज में काफी प्रतिष्ठा होती है। इनके स्वभाव में संयम और परिक्वता झलकती है। समस्याओं का समाधान ढूंढने में इन्हें महारत हासिल होती है। ये बहुत अच्छे शिक्षक और प्रबंधक की भूमिका निभा सकते हैं।
- मालव्य योग: यह योग शुक्र के त्रिकोण या केंद्र स्थान पर होने से बनता है।मालव्य योग का निर्माण शुक्र करते हैं जब शुक्र वृषभ और तुला जो कि स्वराशि हैं या फिर मीन जो कि इनकी उच्च राशि है में होकर प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या फिर दसवें भाव में विराजमान हों तो यह योग मालव्य महापुरुष योग कहलाता है। ऐसे जातक सुख-समृद्धि से संपन्न होते हैं। इनका रूझान कलात्मक और रचनात्मक कार्यों के प्रति अधिक होता है। माता लक्ष्मी की इन पर विशेष अनुकम्पा होती है। तमाम भौतिक सुखों का आनंद लेते हैं। दांपत्य जीवन का सुख भी इन्हें खूब मिलता है।
- शश योग: यह योग शनि के त्रिकोण या केंद्र स्थान पर होने से बनता है।
मकर और कुंभ शनि की राशियां हैं तुला में शनि उच्च के होते हैं यदि इन राशियों में होकर शनि केंद्र से प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम भाव में हो तो इस योग का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडलिका में शश योग बनता है वे उच्च पदों पर आसीन होते हैं। इनकी समझ काफी गहरी होती है। आम जन के बीच भी इन्हें काफी प्रसिद्धि मिलती है। ये अपने कर्तव्यनिष्ठ और कर्मठ व्यक्तित्व के धनी होते हैं। शनि की कृपा से इन्हें दु:ख, तकलीफों का सामना नहीं करना पड़ता।
- धन और वैभव: इस योग वाले जातक आमतौर पर धनवान और संपन्न होते हैं। जन्म लेने वाला व्यक्ति बड़े चेहरे वाला, बहुत साहस मेहनत से धन कमाने वाला, शूरवीर, शत्रुनाशक, बलवान, गर्वीला, प्रसिद्ध गुणों वाला, सेनापति, विजेता होता है, राजनीति में विशेष सफलता प्राप्त होती है।
- प्रतिष्ठा और यश: इन्हें समाज में मान-सम्मान मिलता है। जन्मा व्यक्ति सज्जनों द्वारा प्रशंसित, राजा, हाथ-पैर में शंख, कमल, मत्स्य, अंकुश के निशानों वाला, शुभ लक्षणों से युक्त शरीर वाला, धार्मिक प्रवृत्ति का होता है।
- नेतृत्व क्षमता: इनमें नेतृत्व करने की क्षमता होती है। जन्म लेने वाला व्यक्ति धैर्यशाली, धनी, संतान व पत्नी के सुख से युक्त, उन्नतिशील, आर्थिक स्तर वाला, प्रसिद्ध, बुद्धिमान, तथा प्रसन्नतादायक व्यक्तित्व वाला होता है।
- बुद्धिमान और प्रतिभाशाली: ये लोग बुद्धिमान और प्रतिभाशाली होते हैं। जन्म लेने वाले व्यक्तियों को जीवनभर अधीनस्थ व्यक्तियों का सुख मिलता है, वह स्वयं नगर अध्यक्ष, प्रसिद्ध नेता, राजा एवं राजातुल्य ऐश्वर्य प्राप्त करने वाला तथा राजनीति के दांव-पेच में कुशलता रखता है।
- सुखी जीवन: इनका जीवन सुखमय और समृद्ध होता है। जन्म लेने वाला व्यक्ति बड़े चेहरे वाला, बहुत साहस मेहनत से धन कमाने वाला, शूरवीर, शत्रुनाशक, बलवान, गर्वीला, प्रसिद्ध गुणों वाला, सेनापति, विजेता होता है, राजनीति में विशेष सफलता प्राप्त होती है।