मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र, त्रयंबकम मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)
Sanjeevani Mantra
इस मंत्र का नाम मृत संजीवनी मंत्र है, अब आपको यह भी बता देते है की इसकी पूजा और जप कैसे करना है, सबसे पहले तो आपको शुक्ल पक्ष में किसी भी सोमवार की सुबह भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी है और फिर इस मंत्र का 108 बार जाप करना है.
The Sanjeevan Mantra is:
Sanjeevani Mantra to bring back the life in a dead body
ॐ हौं जूं स:
ॐ भूर्भुव: स्व: त्र्यबकंयजामहे
ॐ तत्सर्वितुर्वरेण्यं
ॐ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम्
ॐ भर्गोदेवस्य धीमहि
ॐ उर्वारुकमिव बंधनान्
ॐ धियो योन: प्रचोदयात्
ॐ मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
ॐ स्व: भुव: भू: स: जूं हौं ॐ।।
After chanting this mantra, perform Lord Shiva’s Aarti.
माना जाता है की कोई सच्चे दिल से निरंतर इस मंत्र का जाप करता है तो कई सारे बड़े-बड़े संकटों से आसानी से मुक्ति पायी जा सकती है. वैसे तो भगवान शिव के कई सारे मंत्र है पर अपनी सभी तरह की इच्छाओं को पूरी करने के लिए सबसे शक्तिशाली मंत्र है "महामृत्युंजय मंत्र" जिसका हर किसी को सच्चे दिल से जाप करना चाहिए और लाभान्वित होना चाहिए.
जब किसी भी कारण से व्यक्ति के ऊपर अकाल मृत्यु का या मृत्यु तुल्य कष्ट का खतरा मडराने लगा हो तथा स्तिथि बेहद संवेदनशील हो जाए तो “मृत संजीवनी” मन्त्र का अनुष्ठान, मन्त्रों के माध्यम से उपचार करने का एकमात्र रास्ता रह जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि स्वयं शिव ने ही मृत्यु सुनिश्चित ना कर दी हो तो इस मन्त्र में, यमराज के मुंह से भी व्यक्ति को बाहर लाने का सामर्थ्य है . “मृत संजीवनी” मन्त्र मृत्यु के भय से मुक्त करने के लिए अचूक मन्त्र है .
भयानक दुर्घटना ,असाध्य रोग, दिल का दौरा, मारकेश की दशा, अष्टमस्थ शनि, राहू या केतु की दशा , बालारिष्ट योग
और कारागार बंधन का यदि भय हो तो महामृत्युंजय मन्त्र का अनुष्ठान अत्यंत लाभकारी है .
जप संख्या : कम से कम लघु 21,000 या दीर्घ 51,000 या कलयुग के नियमानुसार अधिकतम अति दीर्घ 1,25,000
अवधि : अत्यंत ही नाजुक परिस्थिति में अखंड या परिस्थिति अनुसार आवश्यक दिनों में
समय : यदि स्थिति अत्यंत नाजुक हो तो कभी भी .
इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं।
* इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है;
* शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है।
* ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है।
* चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है।
* इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है;
* शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है।
* ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है।
* चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है।