प्रश्न कुण्डली में प्रेम विवाह
प्रश्न ज्योतिष को हमारे ऋषियों ने वेदों और पुराणों में बहुत ही खूबसूरती से समझाया है। हालाँकि ज्योतिष में निर्धारित नियमों के अनुसार, हर किसी की भविष्यवाणी उसकी बुनियादी जानकारी पर आधारित होती है। यह बुनियादी जानकारी संस्कार बनाती है। ये संस्कार हैं देश, काल और पात्र। प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति की पृष्ठभूमि जानना ज़रूरी है। समाज में अलग-अलग परंपराएँ और संस्कृतियाँ हैं जिनका हमारे संस्कारों पर बहुत असर पड़ता है।
विवाह के लिए ग्रह स्थिति (Astrological combinations for love marriage)
कुण्डली में जब प्रेम विवाह के विषय में ग्रह स्थिति का विचार किया जाता है तब पांचवें, सातवें और ग्यारहवे भाव तथा इस भाव के स्वामी की स्थिति को भी देखा जाता है. कुण्डली में गुरू की स्थिति से प्रेम का विचार किया जाता है (Jupiter is analysed to predict love) जबकि शु्क्र से प्रेम विवाह को देखा जाता है. कुण्डली में पंचम भाव अथवा पंचमेश, सप्तम भाव सप्तमेश और लग्न एवं लग्नेश प्रेम विवाह को सफल बनाते हैं. कुण्डली में अगर ये भाव और भाव स्वामी कमजोर अथवा पीड़ित हों तो प्रेम विवाह में बाधाओं का सामना करना होता है.
कुण्डली में जब प्रेम विवाह के विषय में ग्रह स्थिति का विचार किया जाता है तब पांचवें, सातवें और ग्यारहवे भाव तथा इस भाव के स्वामी की स्थिति को भी देखा जाता है. कुण्डली में गुरू की स्थिति से प्रेम का विचार किया जाता है (Jupiter is analysed to predict love) जबकि शु्क्र से प्रेम विवाह को देखा जाता है. कुण्डली में पंचम भाव अथवा पंचमेश, सप्तम भाव सप्तमेश और लग्न एवं लग्नेश प्रेम विवाह को सफल बनाते हैं. कुण्डली में अगर ये भाव और भाव स्वामी कमजोर अथवा पीड़ित हों तो प्रेम विवाह में बाधाओं का सामना करना होता है.
प्रेम विवाह भी आज के समय में प्रचलित विवाह पद्धतियों में से एक है जिसका वर्णन भारतीय शास्त्रों में किया गया है। जब चन्द्रमा तीसरे, छठे, सातवें, दसवें या ग्यारहवें शुभ भाव में स्थित हो, जो शुभ राशियों में स्थित हों तथा बुध, सूर्य और बृहस्पति की दृष्टि हो तो प्रश्न कुण्डली में प्रेम विवाह का योग बनता है।
प्रेम विवाह के लिए लग्नेश और सप्तम या द्वादशेश के बीच अदला-बदली महत्वपूर्ण होती है। शुक्र और चन्द्रमा का अपनी राशियों में या उच्च राशि में होना प्रेम विवाह के प्रबल योग बनाता है। यदि पंचमेश की युति, सप्तमेश या लग्नेश से युति हो या उन पर दृष्टि हो तो जातक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
प्रश्न कुण्डली में प्रेम विवाह की स्थिति देखें (Love marriage in prashna kundali)
प्रश्न कुण्डली जब प्रेम विवाह के विषय मे पूछा जाता है तब कुण्डली में अगर पंचम भाव का स्वामी, सप्तम का स्वामी, एकादश का स्वामी अपनी राशि में बैठा हो तो इसे प्रेम विवाह सफलता पूर्वक होने का सूचक समझना चाहिए (If eleventh lord is in its sign it suggests love marriage). पंचम भाव का स्वामी अगर सप्तमेश के साथ कुण्डली के किसी भाव में बैठा हो और ग्यारहवें भाव का स्वामी इस युति को देखता है तो इसे भी प्रेम विवाह का संकेत कहा जा सकता है. पंचम का स्वामी अगर सातवें घर में बैठा हो और सातवें का स्वामी पंचवें घर में बैठा हो और पांचवें अथवा सातवें घर पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो विशेषकर ग्यारहवें भाव के स्वामी की दृष्टि हो तो प्रेम विवाह संभावना प्रबल बनती है.
प्रेम विवाह के लिए लग्नेश और सप्तम या द्वादशेश के बीच अदला-बदली महत्वपूर्ण होती है। शुक्र और चन्द्रमा का अपनी राशियों में या उच्च राशि में होना प्रेम विवाह के प्रबल योग बनाता है। यदि पंचमेश की युति, सप्तमेश या लग्नेश से युति हो या उन पर दृष्टि हो तो जातक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
प्रश्न कुण्डली में प्रेम विवाह की स्थिति देखें (Love marriage in prashna kundali)
प्रश्न कुण्डली जब प्रेम विवाह के विषय मे पूछा जाता है तब कुण्डली में अगर पंचम भाव का स्वामी, सप्तम का स्वामी, एकादश का स्वामी अपनी राशि में बैठा हो तो इसे प्रेम विवाह सफलता पूर्वक होने का सूचक समझना चाहिए (If eleventh lord is in its sign it suggests love marriage). पंचम भाव का स्वामी अगर सप्तमेश के साथ कुण्डली के किसी भाव में बैठा हो और ग्यारहवें भाव का स्वामी इस युति को देखता है तो इसे भी प्रेम विवाह का संकेत कहा जा सकता है. पंचम का स्वामी अगर सातवें घर में बैठा हो और सातवें का स्वामी पंचवें घर में बैठा हो और पांचवें अथवा सातवें घर पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो विशेषकर ग्यारहवें भाव के स्वामी की दृष्टि हो तो प्रेम विवाह संभावना प्रबल बनती है.
प्रवेश और सोनिया साथ काम करते हैं और एक दूसरे को पसंद करते हैं. प्रवेश ने जब अपने घर में सोनिया से शादी की बात की तो घर के लोग ने विरोध जताया. इस स्थिति में प्रवेश को लगने लगा कि उनकी शादी सोनिया से नहीं हो पाएगी. प्रवेश ने 27 मई 2009 को शाम के 5 बजकर 38 मिनट पर प्रश्न कुण्डली से सवाल किया कि क्या प्रेम विवाह संभव है. प्रश्न की कुण्डली में लग्न तुला आया जिसका स्वामी शुक्र है. राशि है मिथुन जिसका स्वामी है शुक्र. नक्षत्र है पुनर्वसु जिसका स्वामी गुरू है (Lord of Punarvasu is Jupiter). कुण्डली में प्रेम का कारक गुरू पंचम भाव में बैठा है जो नक्षत्र का भी स्वामी है. लग्नेश शुक्र गुरू की राशि में बैठा है जिससे प्रेम विवाह में काफी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. ग्यारहवें भाव में शनि की उपस्थिति सिंह राशि में होना भी कठिनाईयों का संकेत है. फिर भी इस बात की प्रबल संभावना है कि प्रवेश का प्रेम सफल होगा. प्रवेश सोनिया को जीवनसाथी के रूप में प्राप्त कर सकेंगे क्योंकि सप्तमेश मंगल बुध के स्वराशि मेष में बैठा है. Consult here
प्रेम प्रसंग और विवाह
निम्नलिखित योग प्रेम विवाह का कारण बनते हैं।
- चन्द्रमा 3,6,7,10 और 11वें भाव में है तथा बुध, सूर्य और बृहस्पति द्वारा दृष्ट है।
- लग्नेश और द्वादशेश का परस्पर परिवर्तन।
- लग्नेश और सप्तमेश का परस्पर आदान-प्रदान।
- शुक्र और चन्द्रमा अपनी उच्च राशि में।
- पंचमेश और सप्तमेश का दृष्टि संबंध या ताजिक योग।
- लग्नेश का पंचमेश और सप्तमेश से संबंध होना।
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विलंबित विवाह
अष्टमेश का लग्न या सप्तम भाव से संबंध हो और विशेष रूप से जब अष्टमेश अशुभ हो तो विवाह में देरी होगी।
Conclusions
प्रश्न कुंडली का ज्योतिष शास्त्र में भी बड़ा महत्व होता है। कई व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनको अपना जन्म समय, बर्थडेट और जन्म का स्थान आदि नहीं पता होता है। ऐसे में उस व्यक्ति के सवालों के जवाब देने के लिए प्रश्न कुंडली का सहारा लिया जाता है। तत्कालिक प्रश्न का उत्तर जानने के लिए प्रश्न कुंडली का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपको प्रश्न कुंडली के जरिए जानना है कि आपका विवाह कब या कैसे होगा। तो इस तरह से प्रश्न कुंडली के जरिए जवाब दिया जाता है।