नीलम रत्न के प्रभाव तथा धारण विधि
नीलम रत्न (Blue Sapphire) शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, जो व्यक्ति की मेहनत, लगन और स्थिरता को प्रोत्साहित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह रत्न सही कुंडली और विधि से धारण करने पर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है। लोगों के मन में शनि ग्रह से जुड़े साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के चलने पर भारी परेशानियां आने का ख्याल होने लगता है. ऐसे में शनि देव (Shani Dev) को शांत और प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के उपाय अपनाए जाते हैं, इन्हीं में एक उपाय है नीलम का धारण करना. नीलम शनि देव की पहली पत्नी हैं और नीलम रत्न शनि देव के माथे पर विराजमान होता है. ऐसे में जो लोग नीलम धारण करते हैं उन पर शनि देव की कृपा और क्षमा दृष्टि बनी रहती है और व्यक्ति को शुभ प्रभाव देखने को मिलता है.
नीलम के लाभ
माना जाता है की नीलम आंखों से संबंधित विकारों या संक्रमण से राहत दिलाता है। इससे आंखों की रोशनी में भी सुधार होता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति को बोलने और सुनने की समस्या है तो भी यह रत्न राहत देगा।
नीला नीलम पहनने वाले को मानसिक शांति प्रदान करता है व बेहतर नींद दिलाने में ही मदद करता है।
नीलम के चिकित्सीय लाभों में सिरदर्द और बुखार को ठीक करना भी शामिल है। इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि यह पहनने वाले के शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालता है, व आंतरिक अंगों को शुद्ध करता है।
- भाग्योदय और उन्नति: यह रत्न मेष, वृष, तुला, और वृश्चिक लग्न के जातकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
- शनि की दशा में प्रभाव: यदि कुंडली में शनि चौथे, पांचवें, दसवें, या ग्यारहवें भाव में हो, तो नीलम धारण करना अत्यधिक फलदायी होता है।
- शनि की अंतर्दशा: यदि किसी ग्रह की महादशा में शनि की अंतर्दशा चल रही हो, तो नीलम धारण करना चाहिए।
- श्रम का प्रतीक: शनि मेहनती व्यक्तियों का ग्रह है। यदि जातक परिश्रमी है, तो यह रत्न उसे सफलता की ऊंचाई तक ले जा सकता है।
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धारण की विधि
- रत्न की गुणवत्ता: नीलम का वजन 3 से 6 कैरेट होना चाहिए और इसे स्वर्ण या पंचधातु की अंगूठी में जड़वाना चाहिए।
- नीलम रत्न को पहनने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष से अपनी कुंडली दिखाकर सलाह जरूर लेनी चाहिए.
- सही दिन और समय: शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को, सूर्य उदय के बाद इसे धारण करना श्रेष्ठ होता है।
- शुद्धिकरण प्रक्रिया:
- अंगूठी को गंगा जल, दूध, केसर, और शहद के घोल में 15-20 मिनट तक रखें।
- नहाने के बाद मंदिर में शनि देव के नाम 5 अगरबत्ती जलाएं।
- अंगूठी को गंगा जल से धोकर "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 11 बार जाप करें।
- इसे शिवलिंग के चरणों में अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त करें।
- अंत में, इसे दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें।
विशेष सावधानियां
नीलम को पहनते वक़्त कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे की नीलम रत्न (neelam stone) को आमतौर पर अंगूठी या पेंडेंट के रूप में पहनना चाहिए। आप इसे सोने, चाँदी या पंचधातु में धारण कर सकते है |इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाला पत्थर चुनना महत्वपूर्ण है जिसे ठीक से काटा और पॉलिश किया गया हो।
नीले नीलम रत्न का स्वामी ग्रह शनि है। यही कारण है कि अक्सर ज्योतिषियों द्वारा यह सलाह दी जाती है कि इसे शनिवार के दिन पहनना चाहिए। चूँकि शनिवार शनि का दिन माना जाता है।
- केवल कुंडली का विश्लेषण करने के बाद ही नीलम धारण करें।
- यदि कुंडली में शनि अशुभ भावों का प्रतिनिधित्व करता है, तो यह रत्न धारण न करें।
- नीलम आलसी व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
नीलम के उपरत्न
यदि शुद्ध नीलम खरीदना संभव न हो, तो इसके उपरत्न जैसे लीलिया और जमुनिया धारण किए जा सकते हैं।
- लीलिया: नीले रंग का हल्का लालिमा लिए हुए रत्न, गंगा-यमुना के किनारे पाया जाता है।
- जमुनिया: गहरे जामुनी या हल्के गुलाबी रंग का पारदर्शी रत्न, हिमालय क्षेत्र में मिलता है।
खूनी नीलम और पीताम्बरी नीलम
- खूनी नीलम: यह मंगल और शनि का संयुक्त प्रभाव देता है। इसे केवल क्षत्रिय वर्ण के जातक और सही ग्रह योग वाले व्यक्ति ही धारण करें।
- पीताम्बरी नीलम: इसमें गुरु और शनि का प्रभाव होता है। इसे धारण करने से पहले ज्योतिषीय सलाह अवश्य लें।
मंत्र जाप और शनि का आशीर्वाद
- नीलम धारण करते समय "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।
- यह मंत्र संध्याकाल में 108 बार जपें।
निष्कर्ष
नीलम रत्न शनि ग्रह के प्रभाव को मजबूत कर व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सफलता लाता है। परंतु इसे धारण करने से पहले कुंडली का सही विश्लेषण और शुद्धिकरण विधि का पालन करना अनिवार्य है। व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव लगा रहता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति कभी न कभी किसी ग्रह के दुष्प्रभाव के कारण तमाम तरह की परेशानियों और बीमारियों से घिरा रहता है. ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहों में शनि ग्रह को बहुत ही प्रभावशाली ग्रह माना जाता है. कुंडली में शनि के अशुभ भाव में बैठने पर जातकों कष्ट मिलने लगते हैं.