Somvar Vrat Udyapan – सोमवार व्रत उद्यापन विधि एवं सामग्री
सोमवार व्रत रखने से पहले आप जितने व्रत करने का संकल्प लेते हैं ∣ उतने ही सोमवार को व्रत करें और जब आपकी मनोकामनाएं पूरी हो जाए तब सोमवार के व्रत का उद्यापन कर दे∣ यदि सावन माह के पहले या तीसरे सोमवार को सोमवार के व्रत का उद्यापन किया जाए तो ये बहुत शुभ माना जाता है ∣ साथ ही सोमवार के उद्यापन के लिये सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ या मार्गशीर्ष मास के सभी सोमवार श्रेष्ठ माने गये हैं। व्रत के उद्यापन में शिव-पार्वती जी की पूजा के साथ चंद्रमा की भी पूजा करने का विधान है।
उद्यापन की सामग्री और उसकी विधि -
सोमवार व्रत उद्यापन विधि (Somvar Vrat Udyapan Vidhi) -
भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर कुमकुल लगाएं। धूप-दीप जलाकर उन्हें फूल, फल, पान, सुपारी, मौली आदि चीजें अर्पित करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि भी अर्पित करें। अब शिवजी और माता पार्वती को पंचामृत का भोग लगाएं। Consult for You
1. सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत हो स्नान कर लें।
2. यदि सम्भव हो तो इस दिन सफेद वस्त्र धारण करें।
3. पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध कर लें।
4. और फिर पूजा स्थल पर केले के चार खम्बे के द्वारा चौकोर मण्डप बनायें।
5 . चारों ओर से फूल और बंदनवार (आम के पत्तों का) से सजायें।
6. पूजा स्थल पर सभी सामग्री के साथ पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जायें।
7. चौकी या लकड़ी के पटरे को मण्डप के बीच में रखें। चौकी पर सफेद वस्त्र बिछायें।
8. उस पर शिव-पार्वती के विग्रह को स्थापित करें।
9. उसे चौकी पर किसी पात्र में रखकर चंद्रमा को भी स्थापित करें।
10. सबसे पहले अपने आप को शुद्ध करने के लिये पवित्रीकरण करें।
पवित्रीकरण कैसे करें?
भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए पूजा-पाठ किए जाते हैं. शिवजी की पूजा के लिए सोमवार का दिन समर्पित है. लेकिन किसी मनोकमना की पूर्ति आदि के लिए भक्त सोमवार का व्रत रखते हैं. कई लोग सोलह सोमवार का भी व्रत रखते हैं. आप चाहे जितने सोमवार का भी व्रत रखें. लेकिन मनोकामना पूर्ति के बाद या व्रत का संकल्प पूरा होने के बाद उद्यापन करना जरूरी होता है.
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
इसके पश्चात् पूजा कि सामग्री और आसन को भी जल मंत्र उच्चारण के साथ जल छिड़क कर मंत्र शुद्ध कर लें:-
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
सोमवार व्रत उद्यापन के लिये पूजा सामग्री:-
*शिव एवं पार्वती जी की मूर्ति,
∗ चंद्रदेव की मूर्ति या चित्र,
∗ चौकी या लकड़ी का पटरा,
∗ अक्षत – 250 ग्राम,
∗ पान (डंडी सहित)- 5,
∗ सुपारी- 5,
∗ ऋतुफल,
∗ यज्ञोपवीत -1जोड़ा(हल्दी से रंगा हुआ),
∗ रोली- 1 पैकेट,
∗ मौली- 1
∗ धूप- 1पैकेट,
∗ कपूर-1 पैकेट,
∗ रूई- बत्ती के लिये,
∗ पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही,घी,शहद एवं शर्करा मिला हुआ)- 50 ग्राम,
∗ छोटी इलायची- 5 ग्राम,
∗ लौंग- 5 ग्राम,
∗ पुष्पमाला-3 (2 सफेद एवं १लाल),
∗ चंदन- 1० ग्राम (सफेद एवं लाल),
∗ कुंकुम,
∗ गंगाजल,
∗ कटोरी,
∗ आचमनी,
∗ वस्त्र – 1.25 मीटर का चार (एक लाल एवं तीन सफेद) ,
∗ पंचपात्र,
∗ पुष्प,
∗ लोटा,
∗ नैवेद्य,
∗ आरती के लिये थाली,
∗ मिट्टी का दीपक- 5
∗ कुशासन- 1,
∗ खुल्ले रुपये,
∗ चौकी या लकड़ी का पटरा,
∗ केले के खम्बे (केले का तना सहित पत्ता/ केले का पत्ता) – 4,
∗ आम का पत्ता,
सोमवार व्रत के उद्यापन में शिवजी और माता पार्वती के साथ ही चंद्र देव की भी पूजा जरूर करें. पूजा के लिए सबसे पहले पूजास्थल पर गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें. लकड़ी की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और इस पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. साथ ही एक पात्र में चंद्रदेव की भी प्रतिमा रखें. भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर कुमकुल लगाएं. धूप-दीप जलाएं. इसके बाद फूल, माला, पान,सुपारी, मौली, जनेऊ, नैवेद्य चढ़ाएं और फल-पंचामृत का भोग लगाएं. भगवान को बेलपत्र, धतूरा, भांग अर्पित करें. इसके बाद शिवजी की आरती करें. पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दक्षिणा या वस्त्र दान करें.
Conclusions:-
सोमवार के व्रत का उद्यापन करने से ही आपको इसका पूरा फल मिलेगा। ऐसे में आप किसी भी महीने के सोमवार के दिन इस व्रत का उद्यापन कर सकते हैं। सोमवार के व्रत का उद्यापन करने के लिए सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ और मार्गशीर्ष महीने का सोमवार अति शुभ माना गया है।