वर्षफल और ताजिक योग | Varshaphal and Tajik Yoga
वर्ष कुंडली में ताजिक योगों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह योग हमें यह समझने में मदद करते हैं कि कोई कार्य सफल होगा या नहीं। ताजिक प्रणाली में विशेष रूप से लग्नेश (लग्न का स्वामी) और कार्येश (कर्म का स्वामी) पर आधारित योगों का अध्ययन किया जाता है। वर्षफल चार्ट , जिसे वार्षिक चार्ट या वार्षिक चार्ट के रूप में भी जाना जाता है , वैदिक ज्योतिष में एक अवधारणा है। यह वार्षिक सौर वापसी के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर बनाया जाता है - जब सूर्य उसी स्थिति में लौटता है जिस पर वह किसी व्यक्ति के जन्म के समय था। इस चार्ट का उपयोग आने वाले वर्ष के लिए किसी व्यक्ति के अनुभवों, अवसरों और चुनौतियों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। यहां ताजिक योगों की विस्तृत व्याख्या दी गई है:
1. इकबाल योग (Ikbal Yoga)
विशेषताएं:
इकबाल योग प्रतिष्ठा और सफलता का प्रतीक है। यदि वर्ष कुंडली में सभी ग्रह केंद्र (1, 4, 7, 10 भाव) या पनफर भाव (2, 5, 8, 11 भाव) में स्थित हों, तो यह योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग कुंडली के जातक को शुभ फल प्रदान करता है। यह सफलता, मान-सम्मान, और प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होता है।
2. इन्दुवार योग (Induvar Yoga)
विशेषताएं:
जब सभी ग्रह अपोक्लिम भावों (3, 6, 9, 12 भाव) में स्थित हों, तो इन्दुवार योग का निर्माण होता है।
प्रभाव:
यह योग भाग्य की कमी और कार्य में बाधाओं का संकेत देता है। इसमें ग्रह अपनी पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर पाते। For Consultations
3. दुरुफ योग (Duruph Yoga)
विशेषताएं:
यदि लग्नेश और कार्येश 6, 8, 12 भावों में निर्बल अवस्था में हों और पाप ग्रहों से दृष्ट हो, तो दुरुफ योग बनता है।
प्रभाव:
यह अशुभ योग कार्य में हानि और विफलता का संकेत देता है।
4. इत्थशाल योग (Ithashal Yoga)
विशेषताएं:
इस योग के लिए लग्नेश और कार्येश के बीच दृष्टि संबंध होना आवश्यक है। मंदगामी ग्रह के अंश अधिक और तीव्रगामी ग्रह के अंश कम होने चाहिए।
प्रभाव:
यह योग भविष्य में होने वाले शुभ कार्यों का संकेत देता है। कार्य सिद्धि की संभावनाएं बनती हैं।
5. इशराफ योग (Ishraf Yoga)
विशेषताएं:
इशराफ योग इत्थशाल योग के विपरीत है। इसमें शीघ्रगामी ग्रह के अंश अधिक और मंदगामी ग्रह के अंश कम होते हैं।
प्रभाव:
इस योग में कार्य में हानि और विफलता की संभावना रहती है।
6. कुत्थ योग (Kutha Yoga)
विशेषताएं:
जब लग्नेश और कार्येश बली हों, शुभ ग्रहों से दृष्ट हों, और शुभ भावों में स्थित हों, तो यह योग बनता है।
प्रभाव:
यह शुभ योग कार्य सिद्धि का संकेत देता है।
7. दुफलि कुत्थ योग (Dufali Kutha Yoga)
विशेषताएं:
इस योग में मंदगामी ग्रह बली और तीव्रगामी ग्रह निर्बल होते हैं।
प्रभाव:
यह योग कार्य सिद्धि की अच्छी संभावनाएं बनाता है।
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8. मणऊ योग (Manau Yoga)
विशेषताएं:
यदि इत्थशाल में शामिल ग्रहों से मंगल और शनि का संबंध बनता है, तो मणऊ योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग कार्य हानि का संकेत देता है।
9. रद्द योग (Radd Yoga)
विशेषताएं:
जब मंदगामी ग्रह निर्बल और तीव्रगामी ग्रह बली हो, तो रद्द योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग कार्य में बाधा और विफलता का प्रतीक है।
10. कम्बूल योग (Kambool Yoga)
विशेषताएं:
यदि लग्नेश और कार्येश के बीच इत्थशाल हो और चंद्रमा भी इनमें शामिल हो, तो यह योग बनता है।
प्रभाव:
यह शुभ योग कार्य सिद्धि सुनिश्चित करता है।
11. गैरी कम्बूल योग (Gairi Kambool Yoga)
विशेषताएं:
जब लग्नेश और कार्येश के बीच इत्थशाल हो लेकिन चंद्रमा शून्यमार्गी हो और राशि के अंत में हो, तो गैरी कम्बूल योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग कार्य सिद्धि में विलंब का संकेत देता है।
12. खल्लासर योग (Khallasar Yoga)
विशेषताएं:
यदि लग्नेश और कार्येश के बीच संबंध हो लेकिन चंद्रमा शून्यमार्गी हो, तो यह योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग कार्य में असफलता का संकेत देता है।
13. ताम्बीर योग (Tambeer Yoga)
विशेषताएं:
जब लग्नेश और कार्येश का इत्थशाल नहीं होता, लेकिन दूसरे ग्रह से इत्थशाल बनता है, तो ताम्बीर योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग किसी अन्य की सहायता से कार्य सिद्धि का संकेत देता है।
14. नक्त योग (Nakta Yoga)
विशेषताएं:
यदि किसी तीसरे तीव्रगामी ग्रह के माध्यम से लग्नेश और कार्येश का इत्थशाल हो, तो नक्त योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग किसी मध्यस्थ की सहायता से कार्य सिद्धि का संकेत देता है।
15. यमया योग (Yamya Yoga)
विशेषताएं:
यदि मंदगामी ग्रह के माध्यम से लग्नेश और कार्येश का इत्थशाल हो, तो यमया योग बनता है।
प्रभाव:
यह योग बुजुर्गों या वरिष्ठ व्यक्तियों की सहायता से कार्य सफलता का संकेत देता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
ताजिक योग वर्षफल के विश्लेषण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये योग किसी व्यक्ति के जीवन में होने वाली सफलता, विफलता, और संघर्षों को समझने में सहायता करते हैं। शुभ योग जैसे इकबाल योग, कम्बूल योग, और कुत्थ योग कार्य सिद्धि और सफलता का संकेत देते हैं। वहीं, अशुभ योग जैसे दुरुफ योग, मणऊ योग, और रद्द योग कार्य में बाधाएं लाते हैं।
ताजिक योगों का गहन अध्ययन न केवल भविष्यवाणियों को सटीक बनाता है बल्कि यह जीवन के प्रमुख निर्णयों में मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। ऐसे में, वर्ष कुंडली का ताजिक योगों के आधार पर अध्ययन हर ज्योतिषी के लिए अनिवार्य है।