श्री गणपति अथर्वशीर्ष पाठ
गणपति अथर्वशीर्ष पाठ एक शक्तिशाली और पवित्र ग्रंथ है, जो भगवान गणेश की स्तुति करता है और आध्यात्मिक शांति, सफलता और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। इसका पाठ विधिपूर्वक और श्रद्धापूर्वक करने से विशेष लाभ होता है। यहां चरणबद्ध तरीके से गणपति अथर्वशीर्ष पाठ करने की विधि बताई गई है:
पाठ करने से पहले की तैयारी
स्थान का चयन:
- एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।
- पूजन के लिए एक छोटी वेदी या पूजा स्थान बनाएं, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
स्वच्छता:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
पूजन सामग्री:
- गणेश जी की मूर्ति या चित्र, लाल वस्त्र, अक्षत (चावल), दूर्वा (घास), पुष्प, दीपक, धूप, मोदक या मिठाई, जल पात्र, और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी)।
सं Sankalp (संकल्प):
- पाठ से पहले भगवान गणेश के समक्ष संकल्प लें कि यह पाठ आप किस उद्देश्य के लिए कर रहे हैं (जैसे ज्ञान, बाधा निवारण, या किसी विशेष कार्य में सफलता)।
गणपति अथर्वशीर्ष पाठ की विधि
प्रारंभिक पूजा:
- भगवान गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं (यदि मूर्ति है)।
- तिलक करें और वस्त्र अर्पित करें।
- पुष्प, दूर्वा और मिठाई अर्पित करें।
- दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
प्रारंभिक मंत्र:
- गणपति पूजा के प्रारंभ में "ॐ गं गणपतये नमः" का 11 या 21 बार जाप करें।
- इसके बाद गणपति ध्यान मंत्र का उच्चारण करें
- वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
- निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ:
- गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ स्पष्ट और शुद्ध उच्चारण के साथ करें।
- पाठ की शुरुआत में "ॐ नमस्ते गणपतये..." से आरंभ करें और अंत तक ध्यानपूर्वक पाठ करें।
- यदि पुस्तक या प्रिंटेड पाठ उपलब्ध हो तो उसका उपयोग करें।
पाठ के दौरान ध्यान:
- पाठ करते समय भगवान गणेश का ध्यान करें।
- अपनी समस्याओं और इच्छाओं को भगवान के समक्ष समर्पित करें।
अंतिम आरती:
- पाठ समाप्त होने के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
- "जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा" या अन्य किसी गणेश आरती का गान करें।
प्रसाद वितरण:
- पूजा और पाठ के बाद भगवान को अर्पित प्रसाद को सभी के बीच बांटें।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष हिंदी अर्थ सहित (Ganpati Atharvashirsha in Hindi)
।। श्री गणेशाय नम: ।।
(शान्ति-मन्त्र:)
श्री गणपति अथर्वशीर्ष
हिंदी अर्थ: ॐकारापति भगवान गणपति को नमस्कार है। हे गणेश! तुम्हीं प्रत्यक्ष तत्व हो। तुम्हीं केवल कर्ता हो। तुम्हीं केवल धर्ता हो। तुम्हीं केवल हर्ता हो। निश्चयपूर्वक तुम्हीं इन सब रूपों में विराजमान ब्रह्म हो। तुम साक्षात नित्य आत्मस्वरूप हो।
ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।।2।।
हिंदी अर्थ: मैं ऋत न्याययुक्त बात कहता हूं। सत्य कहता हूं।
हिंदी अर्थ: हे पार्वतीनंदन! तुम मेरी (मुझ शिष्य की) रक्षा करो। वक्ता (आचार्य) की रक्षा करो। श्रोता की रक्षा करो। दाता की रक्षा करो। धाता की रक्षा करो। व्याख्या करने वाले आचार्य की रक्षा करो। शिष्य की रक्षा करो। पश्चिम से रक्षा। पूर्व से रक्षा करो। उत्तर से रक्षा करो। दक्षिण से रक्षा करो। ऊपर से रक्षा करो। नीचे से रक्षा करो। सब ओर से मेरी रक्षा करो। चारों ओर से मेरी रक्षा करो।
हिंदी अर्थ: तुम वाङ्मय हो, चिन्मय हो। तुम आनंदमय हो। तुम ब्रह्ममय हो। तुम सच्चिदानंद अद्वितीय हो। तुम प्रत्यक्ष ब्रह्म हो। तुम दानमय विज्ञानमय हो।
हिंदी अर्थ: यह जगत तुमसे उत्पन्न होता है। यह सारा जगत तुममें लय को प्राप्त होगा। इस सारे जगत की तुममें प्रतीति हो रही है। तुम भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश हो। परा, पश्चंती, बैखरी और मध्यमा वाणी के ये विभाग तुम्हीं हो।
हिंदी अर्थ: तुम सत्व, रज और तम तीनों गुणों से परे हो। तुम जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं से परे हो। तुम स्थूल, सूक्ष्म औ वर्तमान तीनों देहों से परे हो। तुम भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों से परे हो। तुम मूलाधार चक्र में नित्य स्थित रहते हो। इच्छा, क्रिया और ज्ञान तीन प्रकार की शक्तियाँ तुम्हीं हो। तुम्हारा योगीजन नित्य ध्यान करते हैं। तुम ब्रह्मा हो, तुम विष्णु हो, तुम रुद्र हो, तुम इन्द्र हो, तुम अग्नि हो, तुम वायु हो, तुम सूर्य हो, तुम चंद्रमा हो, तुम ब्रह्म हो, भू:, र्भूव:, स्व: ये तीनों लोक तथा ॐकार वाच्य पर ब्रह्म भी तुम हो।
हिंदी अर्थ: गण के आदि अर्थात ‘ग्’ कर पहले उच्चारण करें। उसके बाद वर्णों के आदि अर्थात ‘अ’ उच्चारण करें। उसके बाद अनुस्वार उच्चारित होता है। इस प्रकार अर्धचंद्र से सुशोभित ‘गं’ ॐकार से अवरुद्ध होने पर तुम्हारे बीज मंत्र का स्वरूप (ॐ गं) है। गकार इसका पूर्वरूप है।बिन्दु उत्तर रूप है। नाद संधान है। संहिता संविध है। ऐसी यह गणेश विद्या है। इस महामंत्र के गणक ऋषि हैं। निचृंग्दाय छंद है श्री मद्महागणपति देवता हैं। वह महामंत्र है- ॐ गं गणपतये नम:।
हिंदी अर्थ: एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें। यह गणेश गायत्री है।
हिंदी अर्थ: एकदंत चतुर्भज चारों हाथों में पाक्ष, अंकुश, अभय और वरदान की मुद्रा धारण किए तथा मूषक चिह्न की ध्वजा लिए हुए, रक्तवर्ण लंबोदर वाले सूप जैसे बड़े-बड़े कानों वाले रक्त वस्त्रधारी शरीर प रक्त चंदन का लेप किए हुए रक्तपुष्पों से भलिभाँति पूजित। भक्त पर अनुकम्पा करने वाले देवता, जगत के कारण अच्युत, सृष्टि के आदि में आविर्भूत प्रकृति और पुरुष से परे श्रीगणेशजी का जो नित्य ध्यान करता है, वह योगी सब योगियों में श्रेष्ठ है।
हिंदी अर्थ: व्रात (देव समूह) के नायक को नमस्कार। गणपति को नमस्कार। प्रथमपति (शिवजी के गणों के अधिनायक) के लिए नमस्कार। लंबोदर को, एकदंत को, शिवजी के पुत्र को तथा श्रीवरदमूर्ति को नमस्कार-नमस्कार ।।10।।
हिंदी अर्थ: यह अथर्वशीर्ष (अथर्ववेद का उपनिषद) है। इसका पाठ जो करता है, ब्रह्म को प्राप्त करने का अधिकारी हो जाता है। सब प्रकार के विघ्न उसके लिए बाधक नहीं होते। वह सब जगह सुख पाता है। वह पांचों प्रकार के महान पातकों तथा उपपातकों से मुक्त हो जाता है।
हिंदी अर्थ: सायंकाल पाठ करने वाला दिन के पापों का नाश करता है। प्रात:काल पाठ करने वाला रात्रि के पापों का नाश करता है। जो प्रात:- सायं दोनों समय इस पाठ का प्रयोग करता है वह निष्पाप हो जाता है। वह सर्वत्र विघ्नों का नाश करता है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्राप्त करता है।
हिंदी अर्थ: इस गणपति अथर्वशीर्ष को जो शिष्य न हो उसे नहीं देना चाहिए। जो मोह के कारण देता है वह पातकी हो जाता है। सहस्र (हजार) बार पाठ करने से जिन-जिन कामों-कामनाओं का उच्चारण करता है, उनकी सिद्धि इसके द्वारा ही मनुष्य कर सकता है।
हिंदी अर्थ: इस गणपति अथर्वशीर्ष द्वारा जो गणपति को स्नान कराता है, वह वक्ता बन जाता है। जो चतुर्थी तिथि को उपवास करके जपता है वह विद्यावान हो जाता है, यह अथर्व वाक्य है जो इस मंत्र के द्वारा तपश्चरण करना जानता है वह कदापि भय को प्राप्त नहीं होता।
हिंदी अर्थ: जो दूर्वांकुर के द्वारा भगवान गणपति का यजन करता है वह कुबेर के समान हो जाता है। जो लाजो (धानी-लाई) के द्वारा यजन करता है वह यशस्वी होता है, मेधावी होता है। जो सहस्र (हजार) लड्डुओं (मोदकों) द्वारा यजन करता है, वह वांछित फल को प्राप्त करता है। जो घृत के सहित समिधा से यजन करता है, वह सब कुछ प्राप्त करता है।
हिंदी अर्थ: आठ ब्राह्मणों को सम्यक रीति से ग्राह कराने पर सूर्य के समान तेजस्वी होता है। सूर्य ग्रहण में महानदी में या प्रतिमा के समीप जपने से मंत्र सिद्धि होती है। वह महाविघ्न से मुक्त हो जाता है। जो इस प्रकार जानता है, वह सर्वज्ञ हो जाता है वह सर्वज्ञ हो जाता है।
॥ इति श्री गणपति अथर्वशीर्ष सम्पुर्ण ॥
गणपति अथर्वशीर्ष के लाभ
- सभी प्रकार की बाधाओं और विघ्नों का नाश।
- ज्ञान, बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि।
- कार्यों में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति।
- मन और आत्मा की शांति।
- ग्रह दोष, विशेष रूप से केतु और राहु के प्रभाव को कम करने में सहायक।