कर्क लग्न और कष्ट निवारक उपायकर्क लग्न और कष्ट निवारक उपाय
जीवन में भरपूर सुख और सफलता की प्राप्ति हर मनुष्य का एक सपना होता है। लेकिन सुख-दुख, गम-खुशी, अमीरी-गरीबी तथा रोग एवं स्वास्थ्य आदि कालचक्र के ऎसे धुरे हैं, जो जीवन के चलने के साथ-साथ ही चलते हैं. दुनिया में हर इन्सान किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है , जिनमें से एक होती है--व्यक्ति सम्बंधी समस्या जैसे अपने बारे में/अपनी पत्नि/संतान के बारे में,संतान होने या न होने इत्यादि के बारे में, दूसरी स्थान सम्बंधी मसलन किसी स्थान विशेष जैसे जमीन, जायदाद, मकान, व्यवसाय, नौकरी आदि की समस्या और तीसरी धातु अर्थात धन सम्बंधी समस्या. जीवन में आने वाली इन समस्यायों हेतु प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने तरीके से उपाय भी करता है, जिससे कि जीवन को सुखपूर्वक भोगा जा सके. यहाँ हम आपको आपके जन्म लग्नानुसार कुछ ऎसे ही उपायों की जानकारी दे रहे हैं, जिससे कि आप भी अपनी विभिन्न समस्यायों से सरलतापूर्वक एवं शीघ्रता से निजात पा सकते हैं.
आर्थिक समस्या निवारण हेतु:-
यदि आप आजीविका के क्षेत्र में बारबार अवरोध अनुभव कर रहे हैं, कार्यक्षेत्र में अधिकारी वर्ग से सम्बंधों में बिगाड उत्पन्न हो रहा हो अथवा पिता से तनावपूर्व स्थितियों का सामना करना पड रहा हो, तो इसके लिए आपको 10 मुखी रूद्राक्ष धारण करना श्रेष्ठफलदायक सिद्ध होगा. साथ ही प्रत्येक रविवार के दिन पके हुए चावलों में शक्कर मिलाकर बैल अथवा सांड को खिलाते रहें. अपने खानपान में नमक का सेवन कम से कम किया करें. आप देखेंगें कि इस उपरोक्त उपाय से जहाँ आपकी आमदनी के स्त्रोत खुलने लगे हैं, वहीं सामाजिक संबंधों में भी मधुरता की अभिवृद्धि होने लगी है. इसके अतिरिक्त यदि आपको व्ययाधिक्य के कारण किन्ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड रहा हो, तो उसकी निवृति के लिए प्रत्येक अमावस्या एवं पूर्णिमा के दिन किसी गरीब व्यक्ति को कच्ची खिचडी (दाल+चावल मिश्रित) का दान अवश्य किया करें.
भाग्योन्नति हेतु:-
यदि आपको भाग्योन्नति में बार-बार अवरोध कि स्थितियों का सामना करना पड रहा है, अथवा आपका प्रत्येक कार्य सफलता के समीप आकर रूक जाता हो, तो आपके लिए सर्वोत्तम परामर्श यही है कि आप अपने किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पूर्व सर्वप्रथम अपने पितरों को अवश्य नमन किया करें. साथ ही एक गौरीशंकर रूद्राक्ष धारण पश्चात नित्य प्रात: निम्नलिखित श्री विघ्न विनाशक गणपति स्त्रोत्र का पाठ करते रहें.
परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमीश्वरम !
विघ्ननिघ्नकरं शान्तं पुष्टं कान्तमनन्तकम !!
सुरासुरेन्द्रै: सिद्धेन्द्रै: स्तुतं स्तौमि परात्परम् !
सुरपद्यदिनेशं च गणेशं मंगलायनम !!
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परमं !
य: पठेत प्रातरूत्थाय सर्वविघ्नात प्रमुच्यते !!
सुरूचिपूर्ण जीवन हेतु:-
यदि आपको जीवन में बार-बार अनायास परेशानी एवं कार्यों में व्यवधान का सामना करना पड रहा है, तो इसके लिए आपको नियमित रूप से प्रतिदिन अपने आराध्यदेव के सम्मुख तिल के तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए. साथ ही मंगलवार के दिन पान के एक पत्ते पर लौंग, सुपारी, गुड एवं एक चुटकी केसर रखकर भगवान गणपति के चरणों में अर्पित करते रहें. महज इन उपरोक्त उपायों से ही आपको जीवन में अनायास उत्पन हो रही कईं प्रकार की परेशानियों एवं बाधाओं से सहज ही मुक्ति मिलने लगेगी.
सम्पत्ति, वाहन सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप जमीन-जायदाद, नजदीकी सगे सम्बन्धियों अथवा वाहन सम्बंधी किसी प्रकार की कोई समस्या/कष्ट का सामना कर रहे हैं, तो इसके लिए सर्वप्रथम चाँदी में मंडवाकर गले में एक एकादशमुखी रूद्राक्ष धारण करें. उसके बाद नित्य रात्रि को चाँदी के किसी पात्र में जल भरकर रखें तथा सुबह स्नानादि पश्चात उसमें एक चुटकी भर केसर/हल्दी मिलाकर, उस जल से पीपल के किसी वृक्ष का सिंचन करें. ऎसा लगातार कम से कम अढाई-तीन माह की अवधि तक ( रविवार का दिन छोडकर ) निरन्तर करें तो आपकी समस्या का समाधान स्वत: ही निकलने लगेगा.
दाम्पत्य सुख हेतु:-
यदि आप दाम्पत्य जीवन में व्यवधान यथा पति-पत्नि में विवाद, वैचारिक मतभेद, अशान्ती जन्य किन्ही कष्टों का सामना कर रहे हैं तो उसकी निवृति एवं आपसी सामंजस्य की अभिवृद्धि हेतु आप नियमित रूप से प्रत्येक मंगलवार के दिन शिवलिंग पर एक पंचमुखी रूद्राक्ष और रक्त चन्दन मिश्रित जल चढायें एवं संध्या समय श्री शिवलीलामृत स्त्रोत्र का पाठ करें. यदि आप आमिष भोजी हैं तो ध्यान रहे कि उपाय काल में अंडा/माँस/शराब आदि किसी भी प्रकार के अभक्ष्य पदार्थ का सेवन पूर्णत: वर्जित है.
भय, मानसिक तनाव से मुक्ति हेतु:-
यदि आप किसी वजह से मानसिक तनाव में रहते हैं अथवा किसी अज्ञात भय से पीडित हैं, अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं तो उसके लिए स्वर्ण मंडित 2 मुखी रूद्राक्ष गले में धारण करें. साथ ही कम से कम एक बार किन्ही 3 छोटी कन्यायों को मोती अथवा स्फटिक की माला उपहार में दें.