तुला लग्न और कष्ट निवारक उपाय
आर्थिक समस्या निवारण हेतु:-
यदि आप आजीविका के क्षेत्र में बारबार अवरोध अनुभव कर रहे हैं, कार्यक्षेत्र में अधिकारी वर्ग से सम्बंधों में बिगाड उत्पन्न हो रहा हो अथवा पिता से तनावपूर्व स्थितियों का सामना करना पड रहा हो, तो इसके लिए सर्वप्रथम अपने कार्यस्थल पर उत्तर दिशा की ओर लाल वस्त्र पर चाँदी की श्री हनुमान जी की एक प्रतिमा (आकार/वजन अपनी सामर्थ्यानुसार) स्थापित करें. तत्पश्चात नित्य प्रात: उस दिशा की ओर मुख करके 21 बार ॐ महातेजसे नम: मन्त्र का उच्चारण किया करें. इसके साथ ही आपको गलें में एक सप्तमुखी मुखी रूद्राक्ष धारण करना भी श्रेष्ठफलदायक सिद्ध होगा.
केवलमात्र सिर्फ एक इसी उपरोक्त उपाय के करने से ही आप देखेंगें कि जहाँ आपकी आमदनी के स्त्रोत खुलने लगे हैं, वहीं सामाजिक संबंधों में भी मधुरता की अभिवृद्धि होने लगी है.
इसके अतिरिक्त यदि आपको व्ययाधिक्य के कारण किन्ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड रहा हो, तो उसकी निवृति के लिए रविवार के दिन किसी गरीब बालक को भोजन कराते रहें और सोमवार के दिन प्रात: किसी बरगद अथवा पीपल के वृक्ष की 7 परिक्रमा किया कीजिए.
भाग्योन्नति हेतु:-
यदि आपको भाग्योन्नति में बार-बार अवरोध कि स्थितियों का सामना करना पड रहा है, अथवा आपका प्रत्येक कार्य सफलता के समीप आकर रूक जाता हो, तो उसके लिए नीलम रत्न जडित श्री बीसा यन्त्र अथवा एकमुखी रूद्राक्ष गले में धारण करें. तत्पश्चात नित्य प्रात: श्री गणपति अथर्वशीष स्त्रोत्र का 5 बार पाठ किया करें. साथ ही प्रत्येक माह अमावस्या के दिन अपने भार के दशाँश तुल्य कच्चा दूध अवश्य दान किया करें. आप देखेंगें कि शनै: शनै: आपके भाग्य के समस्त अवरोध हटकर जीवन में शान्ति एवं समृद्धि का समावेश होने लगा हैं.
सम्पत्ति, वाहन सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप जमीन-जायदाद, नजदीकी सगे सम्बन्धियों अथवा वाहन सम्बंधी किसी प्रकार की कोई समस्या/कष्ट का सामना कर रहे हैं, तो इसके लिए आपको 200 ग्राम गुड की रेवडी और 200 ग्राम बतासे 21 मंगलवार तक लगातार बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए. साथ ही शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को एक चतुर्मुखी रूद्राक्ष गले में धारण पश्चात नित्य सांयकाल श्री राम रक्षा कवच का पाठ करते रहना चाहिए. यदि आप विधिपूर्वक उपरोक्त उपाय को सम्पन्न कर सकें तो समझिए कि आप सम्पत्ति,वाहन अथवा सामाजिक व्यवहार एवं य़श-मान सम्बन्धी समस्त समस्यायों से बेहद आसानी से मुक्ति पा सकेंगें.
सुरूचिपूर्ण जीवन हेतु:-
यदि आप जीवन में बार-बार परेशानी एवं कार्यों में व्यवधान उत्पन हो रहे हों, तो आपको प्रत्येक शुक्रवार के दिन आटे में छोटा सा पनीर का टुकडा डालकर किसी गाय को खिलाते रहना चाहिए. संभव हो तो मद्य-माँस इत्यादि दुर्व्यसनों से दूर रहें एवं नित्य प्रात: अपने पितरों के निमित्त पितर गायत्री का जाप अवश्य किया करें.
इससे जहाँ एक ओर आपका जीवन सुगम होगा, वहीं आपको जीवन में अनायास उत्पन हो रही कईं प्रकार की परेशानियों एवं बाधाओं से भी सहज ही मुक्ति मिलने लगेगी.
पारिवारिक कलह मुक्ति एवं दाम्पत्य सुख प्राप्ति हेतु:-
यदि आप दाम्पत्य जीवन में व्यवधान यथा पति-पत्नि में विवाद, वैचारिक मतभेद, अशान्ती जन्य किन्ही कष्टों का सामना कर रहे हैं तो उसकी निवृति एवं आपसी सामंजस्य की अभिवृद्धि हेतु आपको सर्वप्रथम ये करना है कि एक मुट्ठी गेहूँ, एक मुट्ठी नागकेसर, एक ताबें का सिक्का, एक साबुत हल्दी की गांठ तथा चाँदी की 4 कीलें लेकर हल्दी रंगित एक पीले रंग के वस्त्र में बाँधकर पूर्णिमा के दिन घर की रसोई में किसी जगह पर टाँग दें. तत्पश्चात न्यूनतम 16 शनिवार लगातार श्री भैरव जी के सम्मुख सरसों तेल का एक चतुर्मुखी दीपक प्रज्वलित कर उन्हे नारियल, लाल पुष्प अर्पित करें.
भय, मानसिक तनाव से मुक्ति हेतु:-
यदि आप किसी वजह से मानसिक तनाव में रहते हैं अथवा किसी अज्ञात भय से पीडित हैं, अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं तो उसके लिए सफेद चन्दन से बनी किसी मूर्ती अथवा वस्तु को घर में किसी ऎसे स्थान पर रखें, जिससे कि आपके साथ-साथ आपके परिवार के अन्य सभी सदस्यों की दृष्टि भी उस पर पडती रहे. इससे एक ओर जहाँ आपको मानसिक तनाव/भय/दबाव इत्यादि से मुक्ति मिलने लगेगी, वहीं परिवार के अन्य सदस्यों की भिन्न-भिन्न विचारधाराओं से मन में उपजने वाली उदासीनता एवं वैमनस्य का भाव भी जागृत नहीं हो पायेगा.