Upachaya Bhava/Upachaya Sthana-उपचय भाव
जन्म कुंडली के 3,6,10,11 भाव को उपचय स्थान कहते हैं। उपचय स्थान – संस्कृत शब्द उपचय से लिया गया है जिसका अर्थ है वृद्धि करना या समय के साथ बढ़ना।उपचय भाव में बैठे हुए ग्रह समय के साथ वृद्धि करते हैं या बढ़ते हैं।
उदहारण के लिए यदि किसी व्यक्ति का तीसरे भाव का स्वामी उपचय स्थान में हो तो उम्र बढ़ने के साथ उसकी कम्युनिकेशन स्किल्स बढ़ेंगी। यदि किसी व्यक्ति का लग्नेश उपचय भाव में हो तो समय के साथ उसका व्यक्तित्व बढ़ेगा अर्थात अच्छा होगा।
उपचय भाव यह दर्शाते हैं कि हम जीवन में पराक्रम ,संघर्ष और कर्म को करते हुए लाभ को प्राप्त कर कर सकते हैं।
उपचय भाव में बैठे ग्रह समय के साथ बढ़ते है अर्थात ये ग्रह किसी व्यक्ति को प्रयास करने के लिए कहते हैं। जब व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है तो वह जीवन में विशेष उपलब्धि हासिल कर सकता है।
उपचय भाव में क्रूर ग्रह अच्छे परिणाम देते हैं क्योंकि यह ग्रह व्यक्ति को कठिन परिश्रम करने की शक्ति प्रदान करते हैं। तीसरे व छठे भाव में क्रूर ग्रह अच्छे होते है। दशम व एकादश भाव में शुभ ग्रह भी अच्छे परिणाम देते हैं।
Third House-तीसरा भाव
तीसरे भाव को पराक्रम का भाव भी कहा जाता है। यह जन्म कुंडली का अत्यंत महत्वपूर्ण भाव है क्योंकि यह भाव यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितना प्रयास करेगा। तीसरा भाव व्यक्ति के कौशल(skills), सम्प्रेषण क्षमता (communication skills) का भी होता है।
तीसरे भाव में क्रूर ग्रह- राहु, शनि, सूर्य, मंगल अच्छे माने जाते हैं क्योंकि यह व्यक्ति को संघर्ष और प्रयास करने की शक्ति देते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने प्रयास और परिश्रम के द्वारा स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करते हैं क्योंकि तीसरे भाव में यदि कोई ग्रह होगा तो उसकी सप्तम दृष्टि नवम भाव (भाग्य स्थान ) पर होगी।
वही यदि तीसरे भाव में शुभ ग्रह जैसे -चन्द्रमा, बृहस्पति, शुक्र हो तो व्यक्ति को कम प्रयास में सफलता हासिल हो जाती है।