मुंडन बच्चे का मुंडन
- बालक के लिए पहला मुंडन हमेशा एक भाग्यशाली दिन और समय पर किया जाता है, जो जन्म तिथि पर निर्भर करता है। इस समय को “मुंडन मुहूर्त” भी कहा जाता है, जिसे एक पुजारी और ज्योतिष द्वारा विभिन्न ज्योतिषीय और पौराणिक तत्वों को ध्यान में रखकर चुना जाता है।
- पुजारी निर्धारित दिन और समय पर हवन या पूजा का आयोजन करता है। इस समारोह के लिए मां शिशु को अपनी गोद में बैठाती है, क्योंकि वह पवित्र कुंड के सामने बैठी होती है। जबकि कुछ परिवार के लोग अपने घर पर ही इस समारोह को करना पसंद करते हैं और अन्य लोग इसे मंदिर में करते हैं।
- कुछ परिवार पवित्र गंगा के तट पर अपने बालक का मुंडन समारोह करने का विकल्प भी चुनते हैं। लेकिन अब यह समय की कमी और अन्य कई कारकों के कारण घर पर किया जा रहा है।
- पुजारी पवित्र मंत्रों का पाठ करते हुए बच्चे के बालों का एक छोटा- सा हिस्सा काटते हैं। बालक का मुंडन समारोह लड़कों और लड़कियों के लिए अलग- अलग होता है। बालिकाओं के सारे बाल मुंडवा दिए जाते हैं। लेकिन बालकों के सिर पर बालों का एक छोटा- सा गुच्छा छोड़ दिया जाता है, जिसे शिका कहा जाता है और यह वास्तव में लड़के के गोत्र को दर्शाता है।
- इसके बाद नाई बालक के बचे हुए बालों को सावधानीपूर्वक काट देता है। वहीं दूसरी ओर, पुजारी बालक के सिर को पवित्र जल यानी गंगाजल से धोते हैं। ऐसा माना जाता है कि पानी सिर को शांत करने में मददगार होता है।
- इसके बाद बालक के बालों को देवताओं को चढ़ाया जाता है या किसी अन्य तरीके से वितरित कर दिया जाता है।
बालक के मुंडन संस्कार के बाद करें ये काम
बालक के बाल मुड़ाने के बाद सिर को पवित्र जल से साफ किया जाता है और अगर आवश्यक हो, तो सिर के घाव पर चंदन और थोड़ी हल्दी का लेप लगा सकते है। साथ ही बालक को बुरी नजर से बचाने के लिए बच्चे के कटे हुए बालों की प्रत्येक लट को अक्सर लिनेन में बांधकर गंगा नदी में दान कर दिया जाता है। इसके तत्पश्चात् बालक के शरीर पर फंसे बालों या धूल को हटाने के लिए बच्चे को गर्म पानी से नहलाया जाता है। विशिष्ट समुदायों में, यह समारोह एक भव्य उत्सव के रूप में किया जाता है, जिसमें पूरे परिवार के लोगों का स्वागत होता है। इसी के साथ एक बच्ची के लिए मुंडन समारोह निजी तौर पर केवल करीबी परिवार के साथ किया जाता है ताकि बच्ची को बाहरी प्रभावों से सुरक्षित रखा जा सकें।
मुंडन कब करवाना चाहिए? | Baby Ka Mundan Kab Karna Chahiye
हर किसी की मान्यताएं अलग-अलग हो सकती है और लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार मुंडन का सही समय चुनते हैं। ज्यादातर हिंदू धर्म में बच्चे के पहले साल या तीसरे साल में मुंडन संस्कार किया जाता है। कुछ धर्मों में सिर्फ लड़के का मुंडन कराया जाता है, लेकिन ज्यादातर धर्मों में लड़के और लड़की दोनों का मुंडन कराया जाता है।
बच्चों के मुंडन संस्कार के पीछे भारतीय सांस्कृतिक विश्वास
जैसा कि हमने ऊपर बताया, भारतीय परंपरा में जन्म के बालों को अशुद्ध माना जाता है, जिस वजह से बच्चे का मुंडन किया जाता है। इसके अलावा, बच्चे का मुंडन करने के पीछे और भी धार्मिक मत हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं :
- ऐसा माना जाता है कि मुंडन के बाद बच्चे के बाल और भी घने आते हैं।
- मुंडन से बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु मिलती है।
- बच्चे का मुंडन कराने से पिछले जन्म के पाप धुल जाते हैं।
- गर्मी के मौसम में बच्चे का मुंडन कराने से बच्चे के सिर को ठंडक मिलती है।
मुंडन संस्कार के लिए शुभ नत्रक्ष, दिन, तिथि और लग्न
हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों होते है, जिसमें एक मुंड़न संस्कार भी शामिल है, जो बालक के जन्म के बाद किया जाता है। साथ ही शिशु का मुंडन कराना धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है ताकि बालक एक स्वस्थ जीवन जी सके।
- नक्षत्र: ज्येष्ठ, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, हस्त, अश्विनी, पुष्य, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र
- दिन: सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन किया जाए, तो यह अधिक फलदायी रहेगा
- तिथि: द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी या त्रयोदशी तिथि
- लग्न: द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, षष्ठी, नवमी और द्वादश लग्न
- शुभ महीने: बालक का मुंडन आषाढ़ एकादशी से पहले
- अशुभ महीने: चैत्र, वैशाख या ज्येष्ठ महीने में यह संस्कार नहीं करना चाहिए
शिशु का मुंडन कराने के लाभ
- वैज्ञानिकों के अनुसार मां के गर्भ में कई तरह के हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो शिशु के बालों पर चिपक जाते हैं और कई बार बाल धोने के बाद भी ये बैक्टीरिया नहीं निकलते।
- साथ ही बालक के सिर का मुंडन करने से यह बैक्टीरिया युक्त बाल निकल जाते हैं और बालक के स्वस्थ, अच्छे बालों का विकास होता है।मुंडन संस्कार के बाद बालक के शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है और शिशु अच्छे मानसिक और शारीरिक विकास का अनुभव करता है।
- बालक के सिर का मुंडन सूर्य के प्रकाश के उचित अवशोषण में करना चाहिए, जो विटामिन-डी का एक स्रोत होता है। यह शिशु की खोपड़ी में एक समान रक्त का परिसंचरण प्रदान करता है, जिसके कारण बच्चे के बालों का अच्छा विकास होता है।
- मुंडन संस्कार बालक के पहले दांत निकलने पर होने वाले दांत दर्द को भी कम करता है। शास्त्रों के अनुसार मुंडन एक बालक के जीवन में शुभता और ज्ञान प्रदान करता है।
मुंड़न संस्कार से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
- कुछ विद्वानों का मानना था कि किसी बालक का मुंडन संस्कार उसके जन्म के महीने या जन्म नक्षत्र के दौरान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, यदि चंद्रमा किसी बच्चे की कुंडली के चौथे, आठवें, बारहवें या शत्रु भाव में हो, तो यह समय मुंडन करने के लिए भी अशुभ माना जाता है।
- हालांकि, ऐसे कई विद्वान हैं जो मानते है कि जन्म नक्षत्र या जन्म का महीना बालक के मुंडन करने के लिए एक अनुकूल समय होता है। द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, षष्ठी, सप्तम, नवम और द्वादश राशि के लग्न या उनके नवांश लग्न बालक का मुंडन संस्कार करने के लिए शुभ माने जाते हैं।
- मान्यता के अनुसार मनुष्य का जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता है। ऐसे में पिछले सभी जन्मों के ऋण और पाप उतारने के लिए बालक के बाल भेंट स्वरूप काटे जाते हैं।
मां की गोद में होता है बालक का मुंडन
हिंदू शास्त्र में मुंडन संस्कार के दौरान बच्चे को मां की गोद में बिठाया जाता है। साथ ही बच्चे के बाल कटवाते समय बच्चे का चेहरा पश्चिम दिशा की तरफ रखा जाता है, जिसे अग्नि दिशा भी कहा जाता है। इसके बाद उस्तरे की मदद से बच्चे के सिर से बाल हटा देते हैं। बाल हटाने के बाद बालक के सिर को गंगाजल से साफ करके हल्दी और चंदन का लेप लगाया जाता है।
अगर बच्चे के सिर पर उस्तरे से कोई घाव लगा हो, तो हल्दी और चंदन का लेप चोट पर लगाना फायदेमंद होता है। बालक का मुंडन करने के बाद कुछ लोग बालों को भगवान की मूर्ति के आगे अर्पित कर देते हैं, तो कुछ लोग अपनी कुलदेवी के चरणों में शिशु के बाल रखते हैं। कई जगहों पर मुंडन के बाद बालों को गंगा नदी में भी विसर्जित किया जाता हैं।
मुंडन संस्कार में रिटर्न गिफ्ट के सुझाव | Mundan Me Kya Gift De
इस समारोह में कई रिश्तेदार और मेहमान शामिल होते हैं, जो बच्चे के लिए कई तरह के उपहार लाते हैं। हिंदू समाज में किसी भी शुभ काम पर मेहमानों को कभी खाली हाथ नहीं लौटाया जाता है। इस दौरान उन्हें रिटर्न गिफ्ट देकर भेजा जाना शुभ माना जाता है। आप मुंडन संस्कार के बाद नीचे बताई गई चीजें रिटर्न गिफ्ट के तौर पर दे सकते हैं :
- मिठाई : भारतीय परंपरा में किसी भी शुभ काम को करने पर मुंह मीठा कराना शुभ माना जाता है। ऐसे में आप बच्चे के मुंडन के बाद रिश्तेदारों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर मिठाई का डिब्बा दे सकते हैं।
- शगुन का लिफाफा : हिंदू परंपरा में किसी भी शुभ काम पर शगुन का लिफाफा देना शुभ माना जाता है। आप अपने अनुसार लिफाफे में शगुन के कुछ रुपए डालकर मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर दे सकते हैं।
- सुगंधित कैंडल : आजकल बाजारों में सुगंध वाली खूबसूरत कैंडल आती हैं, जिन्हें गिफ्ट के तौर पर आप दे सकते हैं।
- भगवान की प्रतिमा : आप मेहमानों को धर्म के अनुसार भगवान की प्रतिमा दे सकते हैं। कई लोग लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा भी देते हैं।
इस लेख में हमने आपको बच्चे के मुंडन संस्कार से जुड़ी जानकारियां देने की कोशिश की है। हमें उम्मीद है कि आपको मुंडन की विधि समझ आ गई होगी। अगर आप भी अपने बच्चे का मुंडन करवाने वाले हैं, तो यह लेख आपकी जानकारी बढ़ाने में मदद करेगा। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा और आपने अपने बच्चे का मुंडन कहां व कैसे करवाया, नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।