गणेश चतुर्थी पूजा विधि मंत्रों के साथ | गणेश चतुर्थी पूजा विधि: चरणबद्ध पूजा विधि और महत्त्व
गणेश चतुर्थी पूजा विधि मंत्रों के साथ, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस त्योहार पर भक्त गणेश जी की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करके घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, और बाधाओं से मुक्ति प्राप्त की जाती है। यहां हम आपको गणेश चतुर्थी पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जिससे आप घर पर सरलता से भगवान गणेश की पूजा कर सकें।
गणेश चतुर्थी पूजा के लिए सामग्री:
- गणेश जी की मूर्ति
- गणेश जी का वस्त्र
- घी का दीपक
- अगरबत्ती
- फूल
- फल
- मिठाई
- नारियल
- हल्दी पाउडर
- चावल
- पानी
- मंगलसूत्र (विवाहित महिलाओं के लिए)
पूजा की तैयारी
गणेश चतुर्थी पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- गणेश जी की मूर्ति: मिट्टी या ईको-फ्रेंडली मूर्ति चुनें।
- कलश: जल से भरा कलश और आम के पत्ते।
- पूजा थाली: फूल, धूप, दीपक, और आरती सामग्री।
- नैवेद्य (भोग): मोदक, फल, मिठाई, नारियल, पान।
- वस्त्र और सजावट: गणेश जी के लिए लाल या पीला कपड़ा और फूलों से सजावट।
- मंत्र पुस्तक: गणेश मंत्र या स्त्रोत।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि:Briefing
- गणेश जी की स्थापना: गणेश जी की मूर्ति को घर में स्थापित करें और उसका पूजन करें।
- अभिषेक: गणेश जी को पानी, दूध, दही, शहद, घी और चंदन पाउडर से स्नान कराएं।
- षोडशोपचार पूजा: गणेश जी को 16 प्रकार के पूजन सामग्री अर्पित करें, जैसे फूल, अगरबत्ती, फल, मिठाई आदि।
- आरती: गणेश जी की आरती करें और भजन-कीर्तन करें।
- प्रसाद वितरण: प्रसाद का वितरण करें।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Step-by-Step)
सर्वप्रथम चौकी पर लाल कपडा बिछा कर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. अपने बाएं हाथ की हथेली में जल लें एवं दाहिने हाथ की अनामिका उंगली व आसपास की उंगलियों से निम्न मंत्र बोलते हुए स्वयं के ऊपर एवं पूजन सामग्रियों पर जल छिड़कें. इसके बाद:
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्था गतोsपि वा।
या स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्रामायंतर: शुचि:।।
1. स्नान और शुद्धिकरण (Purification):
- सबसे पहले स्नान करें और घर के पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें।
- भगवान गणेश की मूर्ति को एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें, जहाँ पूजा की जा सके।
- पूजा स्थल पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएँ और गणेश जी की मूर्ति रखें।
- दीप जलाएँ और पूजा प्रारंभ करें।
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्री महागणाधिपतये नमः। सुप्रतिष्ठो वरदो भव॥
3. प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha):
- गणेश जी का आह्वान करें और उन्हें पूजित मूर्ति में प्रतिष्ठित करें।
- मंत्र: "ॐ गण गणपतये नमः"।
भगवान गणेश को 16 प्रकार से पूजन करके प्रसन्न करें:
- आवाहन: भगवान गणेश का आह्वान करें।
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्री महागणाधिपतये नमः। आवाहयामि-स्थापयामि॥
- आसन: भगवान को आसन अर्पित करें।
ॐ सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्री महागणाधिपतये नमः। सुप्रतिष्ठो वरदो भव॥
- पाद्य: भगवान के चरणों को स्नान कराएँ।
- अर्घ्य: भगवान के हाथ धोने के लिए जल अर्पित करें।
- आचमन: भगवान को पीने के लिए जल दें।
- अभिषेक: भगवान की मूर्ति को दूध, दही, घी और जल से स्नान कराएँ।
- वस्त्र: भगवान गणेश को वस्त्र अर्पित करें।
- यज्ञोपवीत: भगवान को जनेऊ अर्पित करें।
- गंध: गणेश जी के मस्तक पर चंदन का तिलक लगाएँ।
- पुष्प: गणेश जी को फूल अर्पित करें।
- धूप: धूप जलाकर अर्पित करें।
- दीपक: दीपक जलाकर अर्पित करें।
- नैवेद्य: भगवान को मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएँ।
- ताम्बूल: पान और सुपारी अर्पित करें।
- आरती: आरती करें और गान करें।
- प्रदक्षिणा: भगवान की परिक्रमा करें।
5. गणेश मंत्र और भजन:
- "ॐ गण गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें।
- भगवान गणेश के भजन और स्तुति गाएँ।
गणेश चतुर्थी पर करे श्री गणेशजी के इन विशेष मंत्रों का जाप
गणेश को प्रसन्न करने के लिए गणेश मंत्रों का जाप करें। गणेशजी के 12 नामों के लगातार जाप करने से मनोकबारह मंत्र इस प्रकार हैं- सुमुखाय नमः: एकदंताय नमः: विघ्ननाशाय नमः: विनायकाय नम: कपिलाय नम: गजकर्णाय नम: लंबोदराय नम: विकटाय नम: गजाननाय नम:। धूम्र केतवे नम: गणाध्यक्षाय नमः: भालचंद्राय नम:
भगवान गणेश को सिंदूर जरूर लगाएं
गणेश जी को सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं. मान्यता है कि सिंदूर लगाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. भगवान गणेश को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं.
सुख करता दुखहर्ता आरती
6. विसर्जन (Visarjan):
- पूजा समाप्ति के बाद मूर्ति का विसर्जन करें।
- अंतिम आरती कर भगवान गणेश से विदा लेकर विसर्जन करें।
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कैसे करें गणपति विसर्जन:
गणेश चतुर्थी पूजा का महत्व:Read More
गणेश चतुर्थी का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भक्त गणेश जी की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- गणेश जी की मूर्ति पंचतत्वों से बनी होनी चाहिए।
- गणेश जी को मोदक का भोग लगाना चाहिए।
- गणेश जी की पूजा के दौरान मन में शुद्ध भाव रखें।
- गणेश जी की पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर भक्तों को गणेश जी के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस दिन भक्त गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं, पूजा करते हैं, प्रसाद वितरण करते हैं और उत्सव मनाते हैं। गणेश जी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
महत्त्व
गणेश चतुर्थी का पर्व नव आरंभ और समृद्धि का प्रतीक है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। पूजा के दौरान गणेश जी की उपासना से ग्रहों से जुड़ी बाधाओं और विशेष रूप से केतु ग्रह की अशुभता को दूर किया जा सकता है। गणेश जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।